हर रोज एक नया गम दो
मुझे गमों की आदत है
आज ये पास नही..... .... !
ये क्योकर मुझसे दुर हैबस पत्थर ही मारों दोस्तो
न ही मैं नूर हूं न ही सरूर हू!
कही उठा कर एक कोने में रख दो दोस्तों
किसी की ग़ल्तियाँ और माफ़ी ?
जमी मेरे किस काम की!
दूर फलक पर घर बना दो
मुझे एक चादर सिला दो
आओ गले लगा लू तुम्हें!
पल भर भी दुर न हो
क्या ढुढता है अब ये दिल
साया भी जुदा हो चुका है दोस्तों !
उसके सितम की कोई
हद तो होगी,अब तो सितमों
शह ढूढंता हू दोस्तों........!
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उसके सितम की कोई
ReplyDeleteहद तो होगी
सुंदर शब्दों के साथ भावाभिव्यक्ति।
जमी मेरे किस काम की!
ReplyDeleteदूर फलक पर घर बना दो
मुझे एक चादर सिला दो
आओ गले लगा लू तुम्हें!
in panktiyon dil choo liya.......
bahut hi behtareen kavita......