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Showing posts from January, 2011

गैरो ने तो फिर भी गले लगाया है.....

आस्तीन में है कुछ सांप  डसने को है हर दम तैयार  इनको सर उठाने न दो  एक बार जो उठ गये  इनका डसना जरूर है। दोस्तो दोस्ती जरूरी है पर आस्तीन के सांपों से बचना भी जरूरी है। बेगानो की इस दूनिया में विश्वास कहां से पायेंगे जो करोगे भरोसा धोखा भी तो खायेगे.........। भरोसा एक नियति है इससे कब तक बच पाआगे  मेरे अपने कहां अपने बन पाये है  गैरों ने तो फिर भी गले लगाया है..........।