उसकी बाते बहार की बाते
बहारों से कहो,
रूको अभी.............।
वह है मुकम्मल एक
दास्तां,
थोडी अधूरी है
मुलाकात अभी
जो समझा ही
नही अभी तक
वह प्यार को क्या समझेगा
उसकी बाते रूकी-रूकी
रहने दो ख्याल को
रोको नही.............।
बहुत कम है
जिन्दगी बाकी
जीने के लिए
हर पल को बरस बनने दो।
उसकी बाते
बहार की बाते
बहारों से कहो
रूको अभी ...............।
बहारों से कहो,
रूको अभी.............।
वह है मुकम्मल एक
दास्तां,
थोडी अधूरी है
मुलाकात अभी
जो समझा ही
नही अभी तक
वह प्यार को क्या समझेगा
उसकी बाते रूकी-रूकी
रहने दो ख्याल को
रोको नही.............।
बहुत कम है
जिन्दगी बाकी
जीने के लिए
हर पल को बरस बनने दो।
उसकी बाते
बहार की बाते
बहारों से कहो
रूको अभी ...............।
चलती रहें अनवरत बातें ... बहार छाई रहे
ReplyDeleteबातें यूं ही चलती रहें ...
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